इदी के तौर पर,किसी को पैसे,खिलौने मिले,
गैर मज़हबीओं को, मौत के बिछौने मिले..!
इन बेहूदा मज़हबों में ढूँढ़ा, इक दोस्त मगर,
मिले भी तो,कुछ क़ातिल,वहशी घिनौने मिले…!
इदी = ईद के त्योहार पर दिए जाने वाले तोहफ़े;
गैर मज़हबी = परधर्मी; मौत का बिछौना = मृत्युशैया, मौत;
बेहूदा = संस्कारहीन; वहशी = जंगली; घिनौना = घृणास्पद;
” ये लोग किस तरह के मुसलमान हैं? उन्होंने रमजान की तरावीह (खास नमाज) के असल संदेश का उल्लंघन किया और लोगों की हत्या की है। आतंकवाद ही उनका धर्म है।”
– शेख हसीना जी, बांग्लादेश । http://goo.gl/qde8UH
बहुत ही उम्दा सर…………..आतंकवाद का कोई धर्म नहीं ये सिर्फ कमजोर लोगो को ही शिकार बन सकता है |
सही कहा आपने…धन्यवाद सर जी…
बेहतरीन कटाक्ष ………………
धन्यवाद सर जी…
कल ढाका में जो कुछ हुवा उसके परिपेक्ष्य में सटीक रचना लगती है श्रीमन!
हाँ सर जी.. वह घटना अत्यंत पीड़ाकारी है…धन्यवाद सर जी…
बहुत खूबसुरत…… दवै जी……।।
धन्यवाद सर जी…
” Gair majahabiyon ka katile andaz bhi kuchh ish taraha se hai
jismen kuchh ulte pulte se jehad bhi uljhe ish taraha se hai ”
Thank you sir aapne aatankwad par karaa prahar kiya hai dhanyabad.
सही कहा आपने, धन्यवाद आदरणीय शर्मा साहब…