वह आया कब मेरे जीवन मे, मुझे खबर नही
उसे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ मे असर नही
वो मेरी जिस्म जान मे यूँ …… समाय़ा है
उसकी तस्वीर हट जाये ऐसी मेरी नजर नही
अब तो उसकी बाहों मे ही सूकून मिलता है
यही सच है कि बिना उसके मेरा गुजर नही
जब से मेरी धड़कनों मे उसने बनाया है अपना घर
सासे भी रूक जाये तो बिछड़ने का डर नही
सच्चे यार की हसरत किसे नही होती यहाँ
मै भाग्यशाली हूँ अब बिन उसके सफर नही
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
Pyaar ki gahraayee….shiddat ki bahut hi khoobsoorat gazal…..
और जिस शिद्दत से आपने इसे नजर किया उसके लिए शब्द नहीं है शिवाय लब्जो को खोजने के…..आशीष के लिए आभार!
bahut hi khubsurat……………………
बेहतरीन रचना सुरेंद्र. बहुत खूब. काफी दिनों के बाद तुम्हारी रचना पढ़ने को मिली.
शिशिर देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ, पर कुछ निजी विवशता थी, खैर आपके आशीर्वाद से आज पुनः शुरुआत कर रहा हूँ……
.आप स्नेह बनाये रखें…..!
बहुत खूबसुरत सुरेन्द्र……… गजल के भाव ह्रदय कि गहराई को छुती है……….
निवातिया जी आपकी प्रतिक्रिया से लगता है की मेरी कोशिश कामयाब हो रही है, धन्यवाद सर!
अति सुन्दर रचना सुरेन्द्र जी ………………
भाई अभिषेक जी, मै नवान्तुक हूँ, फिर भी आपके स्नेह से उत्साहित हूँ….यूँही प्रतिक्रिया देते रहे तो आभारी रहूँगा!
अति सुन्दर …………………………….. कमाल सुरेन्द्र जी !!
सर्वजीत सिंह जी आपकी ही दुआ से गजल की ओर र्रुख किया हूँ, आपको आभार प्यार बरसाने हेतु….!