जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है,
हर तरफ मौसम-ए-बहार हुआ करता है ,
बिछा देते है उनकी रास्तो में हथेली अपना,
जब कभी उनका रास्ता कांटेदार हुआ करता है….
बस एक ही ख्वाहिस है दिल में कभी हकीकत में दीदार-ए-सनम हो,
किस्मत में हो सितारे और कदमो में चमन हो ,
क्यों मेरी तरह हर शख्स बेकरार हुआ करता है ,
जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है…
शबनम के बूंदों की तरह सूरत जिसकी भोली हो ,
कोयल सी मीठी जिसकी प्यारी सी बोली हो ,
क्यों चिलमन क पीछे से ही उनका दीदार हुआ करता है ,
जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है….
चाँद क जैसा हो जिसका मुखड़ा,
देखते ही भूल जाये जिसे इंसान अपना दुखड़ा,
क्यों “अमर” दरबदर ऐसा इंतजार हुआ करता है,
जब ख्वाबो में मुलाकात-ए-यार हुआ करता है……..
“अमर चन्द्रात्रै पान्डेय”
बहुत अच्छे…………………..
Thank you Sir…….
बहुत ही बढ़िया सर……
Thank you ……..sir
अति सुन्दर …………….!!
Very nice Amar ji………………………….
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