कैसा भ्रम है
कैसी है इसकी कहानी
वाह रे प्रभु
वाह रे तेरी लीला।
तेरे नाम का यह कैसा खेल
कैसी बवंडर
माया जाल में फंसते लोग
केवल फंसकर रह गये।
आज भी नहीं समझते
जंजाल कितना वृहत है
कितनी बड़ी है इसकी आकृतियाॅ।
मरते हैं लोग तो मुर्दा
मरा जान समझकर
परहेज करते
छूने से डरते
कतरातेए भाग जाते हैं।
गंगा जल और मंत्रों से
पवित्र करते हंै अपने आप को
शरीर की शु़़़़़द्धिकरण
मन के संताप धोते हंै
पूजा.पाठ जप आदि
क्या.क्या नहीं करवाते।
दूसरी तरफ
मुर्गें को मार दिया जाता है
बकरे को काट दिया जाता है
ना जाने कितने
जानवर पंक्षी मत्स्य
मारे जाते हैं रोजमर्रा में।
यह भी कहलाता है मुर्दा
वह रे मुर्दे की कहानी
बड़ी चाव से खाते हैं
प्यार से दावत देते
लोगों को पार्टी में बुलाकर खिलाते।
मांसाहारी
मुर्दा खाने वाला
बन जाता है मानव से दानव
मुर्दा खाकर लेते है डकार
अपनी आत्मा तृप्त करते हैं
मांसाहारी जानवर की तरह
लेते है साॅस।
कुत्तों और भेड़ियों सा पीते है खून
उलटे.सीधे करते हंै काम
पर यह कैसा भ्रम
एक तरफ मुर्दे को छूने से डरते हैं
अछूत का भेद भाव
ले आते है मन में।
इसकी तरफ मुर्दे खाकर
रंगरेलियाॅ मनाते
कोई पूजा.पाठ
गंगा जल मंत्र ओच्चार
कुछ भी नहीं होता।
संस्कार का पूरा सफाया
मानवता का सीधा विलोम
संस्कृति का विनाश
लुप्त होती मर्यादा
वाह रे भ्रम
वार रे तेरी मायाजाल।
बी पी शर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
bahut badiya bindu ji ……………………….
Thank you, very much sir.
बहुत तीखा प्रहार किया है आपने सोच पर….बहुत बहुत बधाई आपको…
VERY- VERY THANK YOU SIR FOR YOUR COORDINATION .
Bahut hi khubsurati se likhi hi rachna……..krara prahar
Thank you so much happy.
क्या बात है…बहुत बहुत बधाई ………………………………….
Thank you for your coordination sir.
बहुत खूबसूरत ………….तीक्ष्ण कटाक्ष ……… बेहतरीन विचारशीलता …!!
इस पर मेरी रचना – मुर्गो की सभा – नजर कर अपने विचार व्यक्त करे !!
Abhi – abhi murgon ki sabha serch kiya tha kishi wazah se serch nahi ho paya iske liye hamen khed hai Main mauka milte he ushe jarur padhunga.
Bisesh aapke vichar se main sahmat huan dhanyabad.
pls. go on link … http://www.hindisahitya.org/57692