जिसकी चाहत मे हमने सारी दुनियॉ भुला दी,
उस शखस ने दो पल मे ही हमारी हसती मिटा दी.
मिटा तो हम भी सकते थे पहचान उसकी दिल से,
पर उसकी मासूमियत को देखकर हमने,
अपनी ये आरजू भी भुला दी.
जब पूछा उनसे किस बात कि तुमने ये हमको सजा दी,
तो जवाब आया कि एक बेटी के फजृ की खातिर ही तो हमने अपनी हर खवाहिश दफना दी………
हर एक बेटी को समपिृत मेरी ये पंकतिया…..
Bahut badhiya……
ऐसा भी होता है ……….