एक बीज
जब धरती की गोद में अंकूरित हुई
दो नन्हे.नन्हे से पत्ते एक तना के साथ
उसके पेट में आ गये।
धरती के नमीं ने उसे जिंदा रखा
और वह बीज
एक पौधा को जन्म दिया।
उसके कोमल पंखडी
धरती को चीरती हुई
निकल आई बाहर।
हवा में
ध्ुप खाने के लिए
ललचाने
और लहराते हुए मुस्कराने के लिए।
किसान बाप बनकर
देखता है
संहालता है उसे
अपनी औलाद की तरह
रखता और सींचता है।
धरती माॅ बनकर
गोद में संहालती है
उसके खाने का ख्याल
खूब करती है।
पौेधा पलता
बड़ा होता है
कोई एक पत्ता तोड़ ले
और किसान देख ले
उसकी खैर नहीं।
बड़ा होकर पौधा
बन जाता
पत्तों और टहनियों का
एक विशालतम पेड़।
देने लगती है फूल
ढ़ेर सारे फूल
और उन फूल के साथ
लग जाता प्यारा-प्यारा फल।
फल तैयार, मिठा होता है
इस तरह पक जाता है
लोग खाते हैं
बजार में बेचें जाते हैं।
फल पकता
कटोर होता
और उस कठोरता से
फिर निकलता
सैकड़ों बीज।
वही बीज
निरंतर
कभी खत्म न होने वाली
एक कहानी
पेड़ वहीं रहता है खड़ा
फिर से फूल देने के लिए।
बी पी शर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
यही सत्य है और यही जीवन का सार नहीं …………अति सुंदर बिंदु जी !!
BAHUT BAHUT AABHAR D. K. SAHAB AAP HAMARI HAUSHLA KO BULLAND KAR RAHE HAIN.
Thank you.
बहुत खुब …………
Sharma jee bahut bahut aapka aabhar.
wah bindu ji………………
MANI JEE BAHUT BAHUT DHANYABAD.