Homeअशोक रावतभले ही उम्र भर कच्चे मकानों में रहे भले ही उम्र भर कच्चे मकानों में रहे अशोक कुमार शुक्ला अशोक रावत 08/02/2012 No Comments भले ही उम्र भर कच्चे मकानों में रहे, हमारे हौसले तो आसमानों में रहे. हमें तो आज तक तुमने कभी पूछा नहीं, क़िले के पास हम भी शामियानों में रहे. उड़ानें भी हमारे सोच में ज़िंदा रहीं, ये पिंजरे भी हमारी दास्तानों में रहे. Tweet Pin It Related Posts हाथ में ख़ंजर रहता है घर को हम बचा नहीं सके आज फिर ताले नज़र आये About The Author अशोक कुमार शुक्ला ममता की रंगदारी से हारा हुआ एक पत्रकार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.