जब जब भी जुबाँ पे तेरा नाम आता है
सिहर उठता है बदन दिल मुस्काता है
हसीन लगने लगती है हर एक फिजा
वीराने में भी लगा जलसा नजर आता है !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
जब जब भी जुबाँ पे तेरा नाम आता है
सिहर उठता है बदन दिल मुस्काता है
हसीन लगने लगती है हर एक फिजा
वीराने में भी लगा जलसा नजर आता है !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
वाह ! बहुत खूब……………अति सुन्दर……………..
वीराने में भी लगा जलसा नजर आता है !!
बहुत बहुत धन्यवाद विजय आपका !!
बेहतरीन ………………………. लाजवाब निवातियाँ जी !!
शुक्रिया सर्वजीत जी……………..!!
बेहतरीन………………..
शुक्रिया शिशिर जी……………..!!
Wah bahut khub……………..
धन्यवाद अमर ……….!!
बहुत बढ़िया निवातियाँ जी
धन्यवाद मनी ……….!!
वह सर……………………………
धन्यवाद सोनित ……….!!
धन्यवाद सोनित …………….!!
वाह सर……………………………
True lines….बेहद खुबसुरत….sir
Thanks for your comments SHYAM !!
Wow…very nice composition.. Sir!!
Many many thanks for your compliment..!!
बहुत बेहतरीन निवातियाँ जी………….! पढ़कर कुछ सोचने को बाध्य कर दी आपकी यह रचना!
आपकी मूलयवान प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणा श्रोत है ……..बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र !!
“ग़ज़ल घराना ढूंढते है” को भी नजर करे
क्या लिखूं….आपने पढ़ने वालों को भी जलसा के दर्शन करा दिए…..लेखनी हो तो ऐसी ही हो……
आपकी मूलयवान प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणा श्रोत है ……..बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी !!
“ग़ज़ल घराना ढूंढते है” को भी नजर करे
बहुत बढ़िया बेहतरीन निवातियाँ जी
उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक
बेहतरीन रचना निवातियाँ जी !
उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी !!