सुन्न सा पड़ गया, जैसे मैंने अलमारी खोली,
कपडे सजीव से दिखने लगे, बातें मुझसे करने लगे,
हम पड़े है कब से इस अलमारी की जेल में बंद,
पुराने हो गए, नहीं रहे तुम्हारे काम के सुख दुःख करने लगे,
नए नए कपडे लाते हो, पुराने भरते जाते जो,
क्या करोगे इतने कपड़ो का, सवाल मुझसे करने लगे,
कुछ को कई साल हो गए जिनको तुमने देखा तक नहीं,
घुट रहा है दम हमारा, आँखों में उनकी अश्रु भरने लगे,
कितनो के तन पर कपडा नहीं, कितने ठण्ड से मरे
कितने जी रहे फटे कपड़ो में, सोच आँखों के आगे अँधेरे घिरने लगे,
किसी के काम आ जाये, किसी के चहरे की मुस्कान बन जाये,
इससे बेहतर क्या होगा ? लगा जैसे जिरहा करने लगे,
तुमको भगवान ने दिया इतना कुछ ? शुक्र करो उसका,
कर दो किसी की जरूरत मंद की मदद, मासूम से बन कहने लगे,
अपने लिए तो हर कोई जीता, जियो किसी और के लिए,
जीवन की वास्विकता से परिचय कपडे “मनी” को करवाने लगे
नोट:- आप सभी से बेनती है जो भी आपके पास बेकार कपडे है या बिस्तर है जो आप की जरूरत में नहीं आते है उन्हें गरीब मन्दो को जरूर दे | आपके कपडे किसी की जिंदगी बचा सकते है किसी की इज़्ज़त ढक सकते है | आप सभी से मेरी दिल से बेनती है |
वाह मनी जी
उम्दा विचार वो भी उम्दा लेखन में….
शुक्रिया अरुण जी इस सराहना के लिए तहे दिल से
नोट:- आप सभी से बेनती है जो भी आपके पास बेकार कपडे है या बिस्तर है जो आप की जरूरत में नहीं आते है उन्हें गरीब मन्दो को जरूर दे | आपके कपडे किसी की जिंदगी बचा सकते है किसी की इज़्ज़त ढक सकते है | आप सभी से मेरी दिल से बेनती है |
आपकी उपरोक्त बातों का हम दिल से स्वागत करते हैं और हम आपकी भावनाओं में शामिल हैं. एक अच्छा विषय और अच्छी भावनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई.
शुक्रिया विजय जी मेरा साथ देने के लिए, उम्मीद है आप और लोगो को भी प्रेरित करेंगे | एक बार फिर से तहे दिल से शुक्रिया |
उत्तम विचार ………अति सुन्दर !!
तहे दिल से शुक्रिया निवातियाँ जी इस सराहना के लिए
अच्छे विषय अच्छी सोच………………………… बहुत बढ़िया मणि !! .
अच्छे विषय अच्छी सोच………………………… बहुत बढ़िया मनी !! .
शुक्रिया सर्वजीत जी आपकी इस सराहना के लिए,
अद्भुत भावाव्यक्ति मनिंदर …….
शुक्रिया शिशिर जी इस प्रतिकिर्या के लिए तहे दिल से
Bahut hi sunder rachna hai or aapne bilkul sahi mudde pe likha hai…………Aapki soch bahut hi achhi hai….
सच कहा है मनीन्दर जी, काश ऐसा ही हो………………..।
जी सुरेन्द्र जी ऐसा ही होगा बस कुछ वक्त चाहिए |
वआह…..बहुत उम्दा दोस्त…..क्या कहने…सही कहा आपने….जय हो….
thanks c m sharma ji
उम्दा सोच मनिन्द्र जी ! रचना के माध्यम से एक अच्छी सीख के लिए हार्दिक धन्यवाद .
शुक्रिया मीना जी इस सराहना के लिए, उम्मीद ही आप भी और लोगो को प्रेरित करेंगी