जब बारिष की बूंदों से अरमानों के दिए बुझ चुके
जब आँखों के समंदर से आंसुओं की लहरें सुख चुकी
जब मुस्कान के हीरे से जादुई चमक खो गयी
तो अब सोचकर क्या फायदा……
जब लहरें अपना किनारा भूल गयी
जब लताओं ने पेड़ का सहारा खो दिया
जब कलियों ने खिलना छोड़ दिया
जब बादल गरजकर अपना रास्ता मोड़ लिया
जब किरणों ने हंसकर झिलमिलाना छोड़ दिया
तो अब सोचकर क्या फायदा….
जब उम्मीद का सूरज ढल चूका है
हर शाम बदल चूका है
जब समंदर की लहरों ने लहराना छोड़ दिया
किस्मत ने ज़िन्दगी पर डेरा खो दिया
तो अब सोचकर क्या फायदा……
जब पंछि अपना सुर वाला गीत भूल गए
जब सारी कोशिशें फ़िज़ूल हो गयी
जब ये सारे दुःख कुबूल हो गए
जब खुशियाँ मजाक और फितूल हो गए
तो अब सोचकर क्या फायदा ……
दुःख की धुप और सुख की छांव
यही तो दो पहलु है ज़िन्दगी के
इनसे निपटने और जीत जाने के
आते है मुझे तरीके
पर क्या करे कोई जब ये भावनाएं ही उसपे बेअसर हो जाए
हमेशा साथ रहने वाली मुस्कान ही उससे बेखबर हो जाए
तो अब सोचकर क्या फायदा ….
एक पत्थर क्या जाने वो किस और आगे बढ़ रहा है
उसके साथ कौन है आस पास क्या चल रहा है
वो तो रास्ते पे बेसुध होकर चादर ताने सोया है
उसे तो ये तक नहीं पता उसने क्या क्या खोया है
क्या पत्थरों पे भी कहीं ऐसी भावनाओं का असर है
अब सोचकर क्या फायदा जब दिल बन गया पत्थर है….
अब दुःख के आघात पर भी दर्द नहीं होता
न दिल से दुआ निकलती है
खुशियों के लिए भी अर्ज़ नही होता
जीने की सजा न काट रहे होते
गर ऊपर वाले का मुझपे ज़िन्दगी का क़र्ज़ नहीं होता….
अब तो हमें ये दुःख भी मंजूर हो चले
न आंसुओं में वो दर्द है
न ये तन्हाईयाँ ही हमें खले
उपरवाला भी बस तकलीफ ही देता है
उसका न कोई क़ानून है न कोई कायदा
तो अब सोचकर क्या फायदा………..
श्रीजा निराशा को बाँट कर आपने अच्छा काम किया है. इससे बहार निकलना ही सफलता की कुंजी है. मृत्यु के सिवा कोई भी चीज़ अंतिम नहीं है.
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी की आपने मेरी रचना पर ध्यान दिया…. पर ये मेरी खुद की स्थिति नहीं है…ये मेने किसी और से प्रेरित होकर लिखा है…. पर फिर भी आपके सुझाव के लिए धन्यवाद…..
मन की वेदना को व्यक्त करती हुई रचना………………….बहुत अच्छा.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका विजय जी…
बहुत अच्छा……….
Thanks Arun ji
beautiful……
Thanku so much Anshu ji
बहुत खूबसूरत श्रीजा …………………!!
Thanks a lot D.K ji…
Bahut hi khubsurat rachna Srija Ji
Thank you so much Amar jii…….
बहुत खूबसूरत…..अंतर्मन की पीड़ा…..
Thank you so much babucm