जब से देखा हु तुझको मैं हु बड़ी मुस्किल में ,
एक खुमारी सी छा रही है मुझको,
कुछ बेचैनी सी हो रही है दिल में….
ख्वाब भी तेरा देखू मैं
खोया रहता हु तेरे ख्याल में ,
कुछ जादू सा चला के मुझपे,
मुझे कर दिया है ये किस हाल में,
तेरे प्यार में कही हो न जाऊ मैं दीवाना,
कही डूब न जाऊ मैं प्यार क साहिल में,
जब से देखा हु तुझको मैं हु बड़ी मुस्किल में ,
एक खुमारी सी छा रही है मुझको,
कुछ बेचैनी सी हो रही है दिल में….
न भूख लगे न प्यास लगे,
दिल में बस मिलन की आस लगे,
तू दूर बहुत है मुझसे फिर,
क्यों दिल के इतने पास लगे,
तू नजर आती है मुझे,
हर घडी हर समय हर महफ़िल में,
जब से देखा हु तुझको मैं हु बड़ी मुस्किल में ,
एक खुमारी सी छा रही है मुझको,
कुछ बेचैनी सी हो रही है दिल में…..
अब ख्वाहिस है बस तेरी ही,
अब तेरी ही दिल को जरुरत हो,
मैं दिखा नहीं सकती तुझको ,
पर मेरे दिल में तेरी एक मूरत है,
तुझे दिल ही दिल मैं पूजता हु,
और कुछ गुण नहीं है मुझ जाहिल में,
जब से देखा हु तुझको मैं हु बड़ी मुस्किल में ,
एक खुमारी सी छा रही है मुझको,
कुछ बेचैनी सी हो रही है दिल में…….
“अमर चन्द्रात्रै पान्डेय”
Nice write……………………………
Thank you Sir…………..
प्रेम में विचलित ह्रदय की भावनात्मक प्रस्तुति !!
Bahut bahut aabhar Sir…..
दिल का मामला है दोस्त, दिल लगायोगे तो बेचैनी तो होगी ही …………………… बहुत ही बढ़िया अमर जी !!
Sukriya sir……… aaplogo ki rachnao ko hi padh kar kuchh likhne ka prayas kar raha hu………