तेरे गली से गुजरे हमे ज़माना हो गया
प्यार का वो झूठा खेल पुराना हो गया
खुद से भी ज्यादा, प्यार करते थे हम तुमको
जब से देखा, तुझे गैर की बाहो में, दिल रो गया !!
काश तेरी फिदरत, हम पहले ही जान जाते
बचकर रहते तुझसे, कभी दिल ना लगाते
ना जाने तूने और भी कितने दिल तोड़े होंगे
जगाकर प्यार की चिंगारी, अकेले छोड़े होंगे !!
अच्छी रचना. वर्तनियों की शुद्धता पर ध्यान देने के आवश्यकता है.
Thank you very much Sir, Ha maine work karunga वर्तनियों per..
very nice………………..
Thanks Amar chandratrai Pandey Ji….
Very nice……………………………
Thanks विजय कुमार सिंह Ji…
सुन्दर……….
Thank you babucm….
nice lines………………
Thanks Mani Ji…
अच्छा है प्रिंस जी
लिखते रहिये….
Thanks अरुण कुमार तिवारी Ji…
ह्रदय में उपजी भावनाओ को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में सजाने का खूबसूरत प्रयास !!
Thanks निवातियाँ डी. के. Ji…