किसी के मन से जब तुम्हारा भय निकल जाए तो स्नेह होता हैं
कोई जब तुम्हारी गलतियों पर ना तिलमिलाए तो स्नेह होता हैं
किसी से बेबाक हो कर कुछ भी जो कह पाएं तो स्नेह होता हैं
किसी की मुश्किलों में हमेशा साथ को निभाए तो स्नेह होता हैं
किसी से मिलने में बिल्कुल भी ना हिचकिचाए तो स्नेह होता हैं
किसी का चेहरा देख उसकी पीड़ा समझ जाए तो स्नेह होता हैं
किसी की सदा उन्नति, स्वास्थ्य और भला चाहे तो स्नेह होता हैं
किसी से कुछ भी अपना हम जो छुपा ना पाए तो स्नेह होता हैं
कोई अपनी कमियों पर भी जब हंसकर इतराए तो स्नेह होता हैं
किसी को अपना सब कुछ दे देने का मन चाहे तो स्नेह होता हैं
किसी को देख जब आँखो से आँसू थम ना पाए तो स्नेह होता हैं
किसी को पूछने पर सदा सही रास्ता हम बताए तो स्नेह होता हैं
कोई जब हमारी यादों का हिस्सा बनता जाए तो स्नेह होता है
कोई क्यों अच्छा लगता हैं जब ये ना बता पाए तो स्नेह होता हैं
शिशिर मधुकर
bahut bahut khubh …aur jo aapki lekhni per pratikriya de jaye toh ye bhi lekhan se sneh hota hai
तमन्ना आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
शिशिर साहब आपने स्नेह शब्द को बहुत ही खूबसूरती के साथ समझाया है अति सुंदर रचना l
राजीव अनेकों धन्यवाद ……
आपकी रचना और आप….हूबहू स्नेह……वआह…..लाजवाब स्नेह को नमन ……..
बब्बू जी आपके सुंदर शब्दों के लिए शुक्रिया
किसी को देख जब आँखो से आँसू थम ना पाए तो स्नेह होता हैं।……….
केवल इतना कहना चाहूँगा,
“रहो लिखते यूँ ही खुलकर
मेरे मधुकर
दिनों दिन नज़्म यूँ बेहतर
मेरे मधुकर
बहे जज्बात यूँ घुलकर
मेरे मधुकर
शहद सी बात हो हँसकर
मेरे मधुकर
मेरे मधुकर……
अरुण आपकी काव्यात्मक तारीफ़ का शुक्रिया करने के लिए तो मेरे पास शब्द ही नहीं है. दिल से आभार
Agar koi aisi kavita likh jaye to “स्नेह होता हैं”…………………….Bahut Khub
अमर जी आपकी उत्कृष्ट प्रतिक्रिया के लिए अनेकों आभार
Madhukar sahab – Sneh ek badi see bat hai jo aapne bakhubi apne kavita mein darshaya hai, snehil hriday ko jhakhor dene wali yah uttam rachna hai.
“Aankhon se aadhu “sabse bade sabd hain jo sneh ki batt ko sarthank karti hai.
bahut badhia sir.
आपका हार्दिक आभार बिंदेश्वर
रचना पढ़कर प्रतिक्रिया के शब्द न मिल पाएं तो भी स्नेह होता है. शब्द तलाशने होंगे………….
विजय आपकी अपनत्व भरी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
लाजवाब ……………………………………. कमाल …………………… मधुकर जी !!
आभार ……………………धन्यवाद……………..सर्वजीत
लाजवाब, बहुत खूब शिशिर जी………………..
धन्यवाद मनिंदर…………………..
स्नेह शब्द को बड़ी खूबसूरती से परिभाषित किया आपने ………बहुत अच्छे शिशिर जी !!
हार्दिक आभार निवातियाँ जी
बहुत खुबसूरत रचना ….शिशिर सर आपकी रचना से बहुत कुछ सिखने को मिलता है …
अंकिता आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया के लिए आभार
Really very very nice poem??…
So nice of you Dr. Swati for response.
मधुकर जी, सर्वप्रथम आपको 250 रचनायें प्रकाशित करने पर मेरी हार्दिक बधाई
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सर आपने स्नेह की जड़ तक लिख डाला है, और इस साहित्य काव्य संकलन पर सबसे अधिक स्नेह दूसरे कवि मित्रों को आपने ही दिया है,…. लोग समय के साथ आये, अपनी रचना की तारिफ सुने और चलते बने, पर शिशिर सर आप आज भी अपना प्यार स्नेह निरन्तर दे रहे है…………..। मै तो अपने को कभी कवि की श्रेणी मे नहीं रख पाया पर जब आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया मिली तो मुझे एक ताकत मिला………….।
आज उसी स्नेह पर आपकी रचना पर दो शब्द कहूँगा
स्नेह क्या है, अगर जानना है तुम्हे
तो कहीं और नही जाना है तुम्हे
पढ़ ले आकर मधुकर की कोई भी रचना
दावा है, स्नेह से सरोबार हो जाना है तुम्हे
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सुरेंद्र आपकी प्रेम से परिपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए हज़ारों आभार