माँ आज तेरी गोद की याद बहुत आ रही है..
तेरी कमी आज मुझे बहुत सता रही है …..!!!!
दूर हूँ तुझसे मैं इतना की चाह के भी पास ना आ सकूँ…
काश कोई तरकीब हो जिससे तेरे पास आकर कभी वापस न जा सकूँ…!!!!
तेरे प्यार के पल्लू में छुपकर इस ज़ालिम दुनिया से बच सकूँ
तेरे आशीर्वाद के काजल से कुछ बुरी नज़रों से खुद को बचा सकूँ
अच्छा था वो नादान बचपन जो तेरे साथ साये की तरह घुमा करता था
अच्छे थे वो रात और दिन जो तेरे साथ गुज़रा करता था …!!!
तेरे मुलायम हाथ जो तू मेरे सर पर फेरा करती थी
और इधर उधर की बातें सुना मेरे आँखों में निंदिया बुलाया करती थी ..!!!
मुलायम हाथ की जादू की कमी महसूस हुआ करती है
कभी-कभी दीवार को ही देखे पूरी रात गुजर जाती है….!!
एक बार फिर से मुझे वो बचपन जीने की चाह है….
कम से कम ना लौट सके वो समय तो
जिसमें मेरा बचपन दिखे उस दर्पण की चाह है…!!!
कभी-कभी दीवार को ही देखे पूरी रात गुजर जाती है….!!
बेहतरीन रचना की बेहतरीन पंक्ति…
वाह
अंत बहुत सुंदर बन पड़ा है.
Always Beautiful ………………..
बहुत ही सुन्दर….हर पंक्ति भावपूर्ण….अति सुन्दर…..
यह वो आँचल है जिसकी छाँव दिल में सदा रहती है. बहुत अच्छा.