ऐ पिता ,मेरी ज़िंदगी का मार्गदर्शन ऐसे ही करते चलना ,
जीत हो या हार सदैव मेरे संग रहना ,
मेरी हर कामयाबी पर ,अपनी आँखों से अंशु गिरा देते हो ,
वही दूसरी ओर हार मिलने पर ,अपने सीने से लगा लेते हो ,
सदैव एक योद्धा की तरह मे्रे मनोबल ऐसे ही बनाए रखना ,
ऐ पिता ,तुम्हारी ही छाया मे संसार है मेरा ,
शब्दों मे बया न हो सके ,हमारा रिश्ता है ऐसा ,
मे्रे पिता ,मेरा ये जीवन आपको समर्पित ,
सदैव स्नेह प्रेम से ऐसे ही बनाए रखना
पिता के प्रति असीम प्रेम को प्रकट करती सुंदर रचना……पिता के दूसरे रूप को भी देखें इस रचना के माध्यम से …..एक बार “मुझे मत मरो (बेटी)” पढ़ें.
धन्यवाद …मैंने आपकी ये कविता पढ़ी..खुबसूरत एवम् मार्मिक रचना…
bahut badiya……………….
धन्यवाद……………
शालूजी….बहुत प्यारे भाव पिताजी के लिए….खूबसूरत…..
धन्यवाद ………
अत्यंत ही खुबसूरत एवम् मार्मिक रचना…..
धन्यवाद……..
सुंदर भाव………………
धन्यवाद सर …..
भावों की शुद्धता से बढ़कर कोई सौंदर्य नहीं।
आपकी रचना इस खूबी को पूरी तरह धारण किये हुए है। आपको बधाई!..,.,,
धन्यवाद सर ….
पिता के प्रति असीम प्रेम और समर्पण के भाव प्रस्तुत करती खूबसूरत रचना !!