दिल को रह रह के नया अंदेशा डराने लग जाए ,
वापसी में उसके मुमकिन है ज़माने लग जाए,
सो नहीं पाए तो सोने की दुआएं ,
नींद आने लगे तो खुद को जगाने लग जाए ,
उस को ढूंढे उसे एक बात बताने के लिए ,
जब वह मिल जाए तो बात छुपाने लग जाए ,
हर दिसंबर इसी चाहने गुजारा की कहीं ,
फिर से आंखों में तेरे ख्वाब आने लग जाए ,
इतनी फुर्सत से मिल कि हमें सुकून आ जाए,
और फिर हम भी नज़र तुझसे चुराने लग जाए,
जीत जाएंगी हवाएं यह खबर होते हुए ,
अमर तेज आंधी में चिरागों को जलाने लग जाए.
सुंदर रचना……………………………………
बहुत खूब…पर “दिसंबर” नहीं समझ आया….
Kyunki unse pyar December me hi hua tha babucm ji
bahut badiya sir…………..
Thank you sir…….