न जाने कैसे उनसे इज़हार ए हाल कर बैठे,
बातों ही बातों में यह कमाल कर बैठे,
जिन्हें शौक था नजरों से कत्लेआम करने का,
उन्हीं से हम अपनी जिंदगी का सवाल कर बैठे,
सुने थे हमने भी बहुत आशिकी के किस्से,
न जाने कैसे आशिकी आ गई हमारे भी हिस्से,
जाने अनजाने में यह कैसा बवाल कर बैठे,
बातों ही बातों में यह कमाल कर बैठे,
उफ ये अदाएं उनकी उफ उनका वह अंदाज शायराना,
उफ उनकी आंखों की मस्ती उफ उनका वो नजराना,
आंखों ही आंखों में यह काम बेमिसाल कर बैठे ,
बातों ही बातों में यह कमाल कर बैठे,
रुखसार की चाहत थी दिल में मधुर मिलन की दिल में थी आस,
निकलकर आएगा वह हुस्न चिलमन से दिल में जगी थी दीदार की प्यास,
दिल में उनकी इबादत की चाहत अमर हर हाल कर बैठे,
और बातों ही बातों में यह कमाल कर बैठे !
इज़हार ए हाल कर दिया कमाल ……………………….. बहुत बढ़िया पाण्डेय जी !!
धन्यवाद सर…………..
सुंदर रचना……………………………………………
धन्यवाद सर…………..
धन्यवाद सर……….
Very nice……….
Thanks Sir……..
सुन्दर………
Thank you so much Babu cm ji
kya baat hai amar ji
Thank you mani ji
गुदगुदाहट भरी अच्छी रचना …..