अन्जान
अन्जान से बने महफ़िल मेँ
घूम रहे हैं मुँह फेर कर …………………
अभी तन्हाई मेँ मोहब्बत की कसमें खा रहे थे
वो मेरा हाथ पकड़ कर ………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
अन्जान
अन्जान से बने महफ़िल मेँ
घूम रहे हैं मुँह फेर कर …………………
अभी तन्हाई मेँ मोहब्बत की कसमें खा रहे थे
वो मेरा हाथ पकड़ कर ………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
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बेहतरीन पंक्तियां ……
आपका बहुत बहुत आभार ………………………….. अंकिता जी !!
वाह भाई वाह, हर बार की तरह एक और नायाब रचना……..!
तारीफ के लिए तहे दिल से शुक्रिया …………………………. सुरेन्द्र जी !!
Ati Uttam ………..kmaal ke jajjbat …Sarvjeet ji !!
तारीफ के लिए तहे दिल से शुक्रिया …………………………. निवातियाँ जी
Wah..very nice????
Wah..very nice….
आपका बहुत बहुत आभार ………………………….. स्वाति जी !!
*******************LAAJWAAB**************…sir mere saare words khatam….ab Yeh naya word laajwaab maine ijaad kiya aapki mohabbat bhari…behtareen kalaalkari ke liye…..
शर्मा जी तारीफ के लिए आपका अंदाज़-ए-बयां हमेशां अलग और कमाल का होता है !! आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से शुक्रिया …………………………………….. शर्मा जी
वाह सर्वजीत हुस्न की पोल खोल दी
तहे दिल से शुक्रिया …………………………. मधुकर जी
बहुत ही बढ़िया ……………
बहुत बहुत धन्यवाद …………………………. आदित्य जी !!
बहुत खूबसूरत सर्वजीत जी………………..
बहुत बहुत आभार …………………………. मनी !!
खूबसूरत रचना. दोनों पक्षों को उभर है आपने…………….
बहुत बहुत शुक्रिया ………………………. विजय जी !!
बहुत ही उम्दा लिखा है सर्वजीत जी
बहुत बहुत आभार …………………………. अभिषेक !!