खुश नसीबी लिखूँ मेहरबानी लिखूँ
जिंदगी क्या तेरी कहानी लिखूँ!
एक पल खुशी की बहार लेकर आये
दूसरा गमों की सौगात दे जाए।
हालात की अंजानी गुलामी लिखूँ
छलकती आँखों की जुबानी लिखूँ।
न जाने कब अपनों को बेगाना बना दे
अंबर को चाँदनी का दीवाना बना दे ।
क्या रूप बक्शे कब किसे, क्या रंग ले के आए
तूफान से लहरों का आशियाना बना दे ।
अश्कों की प्यासी दीवानी लिखूँ
हर पल एक जंग की कहानी लिखूँ ।
बे-आस टूटे दिल मे उम्मीदों की लौ जलाए
तन्हाइयों के पल मे शोहबत के गीत गए।
फूलों सा खिलता जीवन हर दिन नया खिलाये
काँटों के बीच रहकर हंसने का फन सिखाये।
उम्मीदों के जिद की निशानी लिखूँ
ख्वाबों मे खिलती जवानी लिखूँ ।
………देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
बेहतरीन सोच…………………..
अति सुन्दर……..