कैसे बताऊँ मैं उन्हें, अपने’दर्द-ए-दिल’का
गुजरता नहीं वक्त उनको देखे
बिना,
गैरों से मिलके तुमने सताया बहुत है,
करुँ क्या ?’गुस्ताख-दिल-ए’
मानता नहीं है ।।
-आनन्द कुमार
आनन्द कुमार पुत्र श्री खुशीराम गुप्ता
जन्म-तिथि- 1 जनवरी सन् 1992
ग्राम- अयाँरी ( हरदोई ) उत्तर प्रदेश
शिक्षा- परास्नातक ( प्राणि विज्ञान )
वर्तमान में विषय- "जीव विज्ञान" के अन्तर्गत अध्यापन कार्य कर रहा हूँ । मुख्यत: कविता, कहानी, लेख इत्यादि विधाओं पर लिखता हूँ । इनके माध्यम से जीवन की निरन्तरता, मौलिकता, अपने विचारों एवं भावनाओं को रखने का प्रयास करता हूँ ।
email - [email protected]
होम टाउन - हरदोई (उत्तर प्रदेश)
4 Comments
C.m.sharma(babbu)26/06/2016
Maanega bhi nahin…mana ke dekh lo….ha ha ha….bahut sundar bhai..
Maanega bhi nahin…mana ke dekh lo….ha ha ha….bahut sundar bhai..
Thanks! ‘babbu’ sir
बहुत खूब……………………….
Thanks! ‘Abhishek’ ji