तेरे इज़हारे इश्क का अंदाज़ मुझे पसंद आया,
तमाम उम्र गुजरी, तेरे इज़हार के इंतज़ार में,
जब होने लगा मौत से रु ब रु,
ऐ जालिम तूने भरी महफ़िल में बेवफा कह दिया |
ना तूने मौत का होने दिया, ना मौत ने मुझे तेरा,
मौत मुझे से सासे छीन रही और तुमने जीने की उम्मीद जगा दी,
क्या बड़बड़ा रहे हो नींद में, किसका इंतज़ार है तुमको,
घबरा के उठ खड़ा हुआ, श्रीमती जी ने झटक के मुझे जगाया ?
टेढ़ा टेढ़ा देख, परख रही थी मुझको,
झट से मैंने मौका सम्भाला, चलो प्रिये कही घूम आये,
कही बहार खाना खा आए,
श्रीमती जी मुस्काई, मेरी जान में जान आई ,
किया धन्यवाद मैंने उसका जिसने भी एतवार बनाया |
अच्छा है……………..
thanks shishir ji
Sundar………….
thanks c m sharma ji
खूब……………………..
thanks abhishek ji
अच्छा है……………..
thanks arun ji
Beautiful lines…………….!!
अच्छा प्रयास है………… थोड़ा और शब्द संयोजन और लय पर ध्यान दीजिये…………!
Nice ……………………. Mani.
Nice ……lines