कम्बख्त दिल काबुमे न आया लाख संभाला पर फिसल गया।.
कभी सुख चैन के पीछे कभी शानोशौकत के लिए बहक गया।.
जबतक जो जो मीलता रहा तबतब सब बटोरने मे खोगया।
जीते जी सब भुलगया मरते मरते आखिर मे खुदा याद आ ही गया।.
(अशफाक खोपेकर)
writer / director of hindi marathi films member of f.w.a,m.c.a.i and i.f.t.d.a, chairman of dadasaheb phalke film foundation mumbai ,india.managing director of afreen channels [p].ltd, proprietor of afreen music.
जीवन सत्य का सुन्दर चित्रण
अंत समय सब याद दिला देता है अशफाक साहब……. सही कहा आपने बहुत खूबसुरत!!
ऐसे ही होता है…सब का यही हाल है….बहुत खूब….
सबका यही हाल है….आपका दुरुस्त खयाल है.
खुदा के वास्ते आपने दिल चुरा लिया
एक सच्चे भाव से अपना बना लिया