छाया है नशा बस तेरा ही तेरा
प्यासी दीवानी तेरी चाहत की पिया
पूछे धड़कन दिल बस दिल का पता
घूँघटा हटा दो जरा आके तुम पिया
छाया है नशा बस तेरा ही तेरा…………………………
व्याकुल अधीर तन मन पल पल
जाते हुए लगते है प्राण हर पल
कर गई पागल तेरी सीरत जिया
लिए हुए फूल में तो बैठी हूँ पिया
छाया है नशा बस तेरा ही तेरा…………………………
दूर करो आके सारा दिल का तिमिर
हो जाये उजाला जैसे हो झिलमिल
संघर्षों का हाल भाव सुन लो जरा
ऐसा लगता ज्वालामुखी फूटता पिया
छाया है नशा बस तेरा ही तेरा…………………………
बन गये भिक्षु एक झलक के लिए
अंगार जैसे सुंदर उन कपोलों के लिए
ऐसा लगे जैसे यहाँ वनवास हो गया
प्यार नही प्यार ये सजा हो गया
छाया है नशा बस तेरा ही तेरा…………………………
“मनोज कुमार”
मनोज भाव अच्छे है लेकिन अभी इसे और परिष्कृत करने की आवश्यकता है
बढ़िया …………………………….
Beautiful ………… Manoj
सुन्दर……………
रचना के भाव अच्छे हैं. शिशिर जी की बातों पर गौर करें.