(एक पुरानी रचना साझा कर रहा हु ……………आपकी मूल्यवान प्रतिक्रिया अपेक्षित है !! )
प्रेम
आओे करे प्रेम इस जग में चाँद और सूरज जैसा
तू ढूंढे बन चाँद पूनम तो कभी अमावस्या जैसा
मैं बन सूरज तड्पु याद में, दहकता अंगारे जैसा
तरसे दीदार मैं दूजे के खेले-खेल आँखमिचोली जैसा
+++++ डी. के. निवातियाँ +++++
Very nice……….
बहुत बहुत धन्यवाद विजय……………….!
बहुत खूब निवातियाँ जी
बहुत बहुत धन्यवाद मनी ………………!
Feelings devoted to a true love….. Nice line sir
Many Many thanks for your comment SHYAM.
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक ………………!
अति सुन्दर…………………..निवातियाँ जी
बेहतरीन…………………….
Many many thanks shishir ji.
बहुत प्यारी और सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद Manoj ……
लाजवाब …………………………. निवातियाँ जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद SARVJEET Ji….
वादा रचना के लिए :
मोहब्बत में इंतज़ार कराना तो हुस्न की आदत होती है —– बहुत ही बढ़िया …………………………. निवातियाँ जी !!
You absolutely right ……Thanks read & valuable comments on each n every creativity… Heartly thanks Sarvjeet ji.
बहुत ही बढ़िया …………………………. निवातियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद AAditya..,……
. निवातियाँ जी !!
Thanks Aditya……….
वआह…..क्या प्यार की रंगोली बनायी है आपने……..हर रंग प्यार का…तड़पन…चाहत…ठिठोली…. लाजवाब…….
आपके खूबसूरत शब्दों का हार्दिक धन्यवाद !!
बेहतरीन………, रचना निवातियाँ जी !
बहुत बहुत धन्यवाद………मीना!
बहुत खूब ..sir!!!
बहुत बहुत धन्यवाद……..स्वाति !!