सोचा ना था, कुछ सालो में हम इतने बदल जायेंगे
काम जयादा है, समय नहीं मिलता यार, बहाने बनाएंगे
नए दोस्तों के चक्कर में, पुराने यारो को भूल जायेंगे
रास्ते में दिखने पर, Ignore (इग्नोर) कर चले जाएंगे
पर कुछ भी कहो यारो, कितना हसीन था कालेज का जमाना
वो सागर की लहरे, तिरुपति, रामेश्वरम घूमने जाना
अब लौटकर ना आएगा, वो गुजरा हुआ जमाना
बस याद करके, उन पल को, जीवन-भर है मुस्कुराना
सत्य वचन …………………..अतीत का स्मरण !!
Thank you निवातियाँ डी. के. Ji……
अतीत के बिखरे मोती सहेजने वाले भाव की अच्छी रचना….
बहुत खूब…
Thank you अरुण कुमार तिवारी Ji…
सत्यपरक ………….अब लौटकर ना आएगा, वो गुजरा हुआ जमाना
हा सही कह रहे है विजय कुमार सिंह जी….
great brother………….
Thanks brother for your support and love..