एकदम हर पल,
ठहर सा गया,
लगा वक्त,
कमा कहर सा गया,
कुछ भी नहीं बचा,
ना जज्बात, ना ख्वाब,
जिन्दा लाश कर,
मुझे कोई मार सा गया,
कलेजे का टुकड़ा मेरा,
रंगा खून के रंग में,
लड़ा बहुत जिंदगी की जंग,
पर हार सा गया,
लगता है जैसे कहेगा माँ भूख लगी है बहुत,
पर उसकी चुप,
मेरा सीना फाड़ सा गया,
कहता था,
मैँ बनूँगा सहारा तेरा,
दिलासा उसका,
मुझे ठंडा-ठार सा गया,
पर होनी को,
कुछ और ही मंजूर था,
बेबसी का दामन पकड़ा,
मुझे कर लाचार सा गया,
रफ़्तार के वो शौकीन है,
डूबे मद के प्यालो में,
उनका लज़्ज़त,
मेरे आँचल पर कर प्रहार सा गया,
पूछते है अब वो मुझसे,
क्या मुआवजा दे ?,
क्या मोल गरीब की ममता का?,
क्या कीमत नन्नी जान की ?
रुके नहीं अश्रु “मनी” की आँखों से,
लिखा हर हर्फ़ सवाल कर सा गया |
बहुत भावुक रचना कटाक्ष करती हुई ….आज के तेज तरार जीवन में ज़िंदगियों के कुचले जाने पर…..
पूछते है अब वो मुझसे, क्या मुआवजा दे ?…कमाल…..
इस होसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया……….सी एम शर्मा जी
उम्दा कलाकारी। सटीक शब्दों का जादू।
वाह!!
कलाकारी नहीं बस अभी सीख रहा हु….तहे दिल से शुक्रिया अरुण जी
बेहतरीन रचना मनी जी l
thanks rajeev ji
भावुक रचना …………
शुक्रिया शिशिर जी इस प्यार के लिए,
बहुत ख़ूबसूरत रचना मनी जी…………..
thanks abhishek ji
बहुत ही खूबसूरत सत्यपरक रचना है एक बार आप “दुर्भाग्य” को भी पढ़ें.
शुक्रिया विजय जी इस प्यार के लिए,
बहुत सुन्दर रचना है आपकी
thanks anoop ji
आत्मा को छूती बेहद भावुक रचना !
तहे दिल से शुक्रिया मीना जी आपका
बहुत ही बढ़िया ………………मनी जी
thanks anikit ji
बहुत खूबसूरत प्रसंग पर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने………. पुत्र वियोग की वेदना का भावुक चित्रण .सोचने के लिए मजबूर करता है !!
निवातियाँ जी ये आपका मार्गदर्शन का कमाल है तहे दिल से शुक्रिया
मनिंदर जी बहुत ही खूबसूरत रचना है|| आप ऐसी ही खूबसूरत रचनाएं शब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकते हैं| वहां भी आप ऐसी ही रचनाएं
किसान चिंतित है लिख व् पढ़ सकते हैं|
thanks prateek ji
जान की कोई कीमत नहीं हो सकती…………….. बहुत ही बढ़िया मनी!!
तहे दिल से शुक्रिया सर्वजीत जी आपका
मनिनाद्र जी बेहतरीन सोच का अनूठा नमूना है आपकी रचना!
धन्यवाद सुरेन्द्र जी इस प्यार के लिए