बलिदानियों, वीरों का करके संग देख ले
तू देशभक्ति की अजब उमंग देख ले
ये हीर-रांझा ही तो सिर्फ जिंदगी नहीँ
चोले का रंग के अब बसंती रंग देख ले
पश्चिम में होके अंध सा ना कर कुकर्म को
होते हैं मान, संस्कार भंग देख ले
मरकर भी हो गये अमर जो इस जहान में
उन दिग्गजों की जीवनी का ढंग देख ले
घर, बाहरी की जूझ में पाएगा कुछ नहीँ
सरहद पे लड़ के स्वाभिमानी जंग देख ले
बन स्वामिभक्त, जानवर भी स्वामिभक्त थे
चेतक, प्रसाद-राम गज, तुरंग देख ले
जब मोह, नेह के लिए कर्तव्य से डिगे
हाडा का खंड शीश से धड़ंग देख ले
खौलेगा रक्त, शौर्य का इतिहास याद कर
राणा-प्रताप से जलाल दंग देख ले
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
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