चलो चलें एक पेड़ लगायें
चलो चलें एक पेड़ लगायें ,हम सब मिलकर वन उपजायें
छाया हो तपती राहों मे, झूला खेंलें हम इनकी बाहों मे
मीठे-मीठे फल खाकर चलों पेट भर कर हम आयें……चलो चले एक पेड़ लगाये
कोने –कोने मे जब हरियाली फैल जायेगी,
किसी भी प्राणी को पानी की कमी न हो पायेगी
चलो चिड़ियों का एक घोंसला बनायें….. चलो चले एक पेड़ लगायें
कहीं पीपल बरगद तो कहीं पर जामुन की छाँव होगी
कहीं तीतर कहीं कोयल तो कहीं कौवे की काँव होगी
चलो पंछियों का कौतुहल सुन कर आयें……… चलो चले एक पेड़ लगायें
हर तरफ खुशबू फैलेगी चम्पा और रात की रानी से
नये किस्से जब शुरु होंगे चुहे शेर की कहानी से
इन बेजुबानों का चलो एक आंशियाँ बनायें…… चलो चले एक पेड़ लगायें
कहीं भालू बन्दर कहीं पर शेर चीते की चिंघाड़ होगी
कहीं आम, कटहल तो कहीं पर बेल बेर की भरमार होगी
चलो तितलियों के लिये कुछ फूल उगायें……. चलो चले एक पेड़ लगायें
प्रदूषण का राक्षस जब भाग जायेगा
धरती पर जब हरा भरा फैल जायेगा
चलो अपने जन्म दिन पर एक-एक पेड़ लगायें
धरती का श्रंग्रार करायें……….. चलो चले एक पेड़ लगायें
(अनूप मिश्रा)
मिश्र जी
प्रथमतया एक ज्वलन्त मुद्दे पर सभी का ध्यान खीचने के लिए आपका बहुत बहुत आभार!
ये एक अच्छी रचना है। आप बधाई स्वीकार करें।
धन्यवाद आपका प्रतिक्रिया देने के लिये आभार
आदरणीय मिश्र जी
आपकी यह कविता बहुत ही समकलिन स मस्या पर आधारित है. बहुत बहुत धन्यवाद
पेड़ों की महत्ता दर्शाती सुन्दर पठनीय रचना
बहुत सही आप ने कहा है…आज के परिपेक्ष में…..
bahut khub sir ………………….
बहुत सही कहा है आपने………………………………..