उनके यादों में जागता रहा रात भर
हम तो करवत बदलते रहे रात भर।
क्या यही प्यार है हम तड़पते रहे
आग में प्यार के उनके जलते रहे।
ख्वाब उनका ही देखते रहे रात भर
उनके यादों में जागते रहे रात भर।।
नज़रेें चल गयी क्या अब उस तरफ
दिल नाजुक बना क्यों है इस तरफ।
इष्क समझते और जानते रहे रात भर
उनके यादों में भागते रहे रात भर।।
दिल अपना दिवाना हुआ इस कदर
ठोकरें खाता रहा मैं क्यों दर.बदर।
क्या है जिंदगी समझते रहे रात भर
उनके इरादों को जानते रहे रात भर।।
प्रेम सच्चा था मेरा जो सच भी हुआ
रास आ ही गई मेरे ईष्वर की दुआ।
सर से घूॅघट ही हटाते रहे रात भर
उनके यादों में जागते रहे रात भर।।
बी पी षर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963 Shivpuri Jamuni chack ,Barh RS Patna (Bihar) P/c 803214
वआह……बहुत ही खूबसूरत…..उम्दा…..
बहुत ही खूबसूरत
बहुत बढ़िया रचना है…………………………..
सुन्दर अभिव्यक्ति
babbu dhanyabad
Sharma jee dhanyabad
Bijay kumar singh jee bahut bahut dhanyabad.
Niwatian jee aapke ish taraha ke bhaw wali pratikirya hamen bahut acchhi lagati hai. dhanyabad.