एक पुरानी रचना …………. नए दोस्तों के लिए
शर्मा जी का कुत्ता
शर्मा जी आप इन्सान तो बहुत भले हैं,
फिर ये कुत्ता पालने क्यों चले हैं
ये रात को बहुत चिल्लाता है
ह्मारी मीठी नींद उड़ाता है
इसका आप कुछ इलाज कीजिये –
शर्मा जी ने कहा, अजी साह्ब रहने भी दीजिये
कुत्ता पालने से आदमी अमीर लगता है
ह्म अन्दर आराम से सोते हैं, ये बाहर जगता है
शर्मा जी का आजकल कुछ अलग ही स्टाईल है
गर्दन में थोड़ी अकड़ और होटों पे स्माईल है
शर्मा जी ह्मसे हिन्दी में और कुत्ते से अंग्रेजी में बात कर रहे थे
उस समय ह्म अनपढ़ और वो दोनों पढ़े लिखे लग रहे थे
ये देख कर ह्में भी जोश आ गया
घर आकर कहा – ह्म भी कुत्ता पालेंगे
श्रीमति जी बोलीं – ह्म एक को तो संभालते हैं, दो को कैसे संभालेंगे
मैनें कहा – ये क्या बदतमीज़ी की बात है
तो वो बोलीं – तुम दोनों की एक ही जात है
घर को गन्दा करते हो,
कुछ कह्ती हूँ तो गुर्राते हो पंगा करते हो
ये सुन कर ह्में लगा कि श्रीमति जी की बात में कुछ तो सच्चाई है
कुत्ते की बात करके ह्मने अपनी इज्ज़त गंवाई है
ह्मने पकड़ लिए अपने कान
अब लेंगे ना कुत्ते का नाम
पर आज कई महीनों बाद भी शर्मा जी अकड़ कर निकलते हैं स्टाईल से
और हमारी नमस्ते का जवाब देते हैं अपनी टेढ़ी सी स्माईल से
ह्मारी तो कुत्ता पालने की इच्छा बस मन में ही रह गई
और अपनी अकड़ कर चलने की चाह आँसूओं में बह गई
लेखक – सर्वजीत सिंह
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बहुत ही बढ़िया हास्य रचना सर्वजीत जी आपकी
बहुत बहुत आभार आपका …………………. मनी !!
बहुत खूबसूरत मनोविनोद से परिपूर्ण व्यंगात्मक रचना ……..अति सुंदर सर्वजीत जी !!
इस विषय पर मेरी पुरानी रचना ” आदमी बनाना कुत्ता ” नजर कीजियेगा !!
तारीफ के लिए तहे दिल से शुक्रिया …………………… निवातियाँ जी !!
जरूर ……………………. निवातियाँ जी
आपकी यह रचना “आदमी बनाना कुत्ता” खोज में नहीं आ रही….
क्षमा कीजियेगा …..आदमी v/s कुत्ता से खोजिये मिल जाएगा ……त्रुटि के लिए पुन: माफ़ी चाहूंगा !!
.अति सुंदर ………………सर्वजीत
बहुत बहुत धन्यवाद ……………………………. अभिषेक !!
बहुत मजेदार रचना लिखी है आपने ।
बहुत बहुत आभार आपका …………………. काजल जी !!
हा हा हा …..हम भी कुत्ता रखने की सोच रहे हैं….क्या ख्याल है…..अब हास्य व्यंग की बिजलियाँ…..हा हा ….लाजवाब है बस……
शर्मा जी अकड़ कर चलना है तो कुत्ता पाल लीजिए ……………………. आगे आगे कुत्ता चलता है पीछे पीछे आदमी ज़ंज़ीर से खिंचता हुआ अकड़ कर चल रहा होता है ………………………… प्रशंसा के लिए आपका बहुत आभार !!
उच्चकोटि के हास का भाव समेटे आपकी यह रचना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सस्ते और ओछे विषयों से जबरन हास्य निकालने की वृत्ति का सटीक जवाब है।
एक स्वस्थ हास की द्योतक इस उत्कृष्ट रचना हेतु हार्दिक शुभकामनाएं!
उत्साह वर्दक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार ………………… अरुण जी !!
सर्वजीत जी आपकी रचना बहुत -बहुत अच्छी है पढ़कर मज़ा आ गया l
आपको मज़ा आया बहुत अच्छा लगा …………………….. आपका बहुत बहुत आभार राजीव जी !!
हास्य-व्यंग के माध्यम से जीवन के सच को लिखा है आपने. बहुत सुन्दर रचना.
प्रशंसा के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद………………………… विजय जी !!