अब मुझको बढ़ जाना है ऊपर तक चढ़ जाना है
बेल बोलती बरगद तेरी संगत में पड़ जाना है
पंछी तुझसे बातें करते बादल करते तुझे सलाम
चूं-चूं चीं-चीं खट पट-खट पट
जब जब घिरने आती शाम
मुझको भी हर शाम चौकड़ी मिलकर खूब जमाना है
बेल बोलती बरगद तेरी संगत में पड़ जाना है
बारिश की हर बूँद ठहरकर तुझसे हाथ मिलाती है
मंद पवन भी हौले हौले तेरी शाख हिलती है
तुम पूजा के पात्र बने हो मुझको भी बन जाना है
बेल बोलती बरगद तेरी संगत में पड़ जाना है
बेल बखान सुना बूढ़े बरगद ने लम्बी सांस भरी
बोला बेल सुनो अब मेरी बातें सच्ची और खरी
देखा तुमने कद मेरा और मेरी पत्ती हरी भरी
शान-ओ-शौकत इज्जत सब पर बात न तुमको ध्यान पड़ी
कितनी ही विपदाएं मुझको लगभग रोज उठाना है
बरगद कहता बेल तुम्हे भी काफी कुछ समझाना है
मंद हवाएं दिखी तुम्हे पर क़्यूं न तुम्हे तूफ़ान दिखा
सम्मान दिखा बूँदों का पर न ओलों का अपमान दिखा
दिखी शाम की मंडलियां..पर दोपहरी का सूनापन??
तुम जिस छाँव तले बैठी हो उसकी खातिर जलता तन??
इस ऊंचाई की कीमत मुझको हर रोज चुकाना है
बरगद कहता बेल तुम्हे भी काफी कुछ समझाना है
सुनकर बोली बेल सुनो है सब शर्तें मुझको स्वीकार
मुझको बस चढ़ जाने दो फिर देखो मेरा तुम विस्तार
आज तुम्हारी छाव तले पर कल फिर साथ चलूंगी मैं
नहीं जलोगे तुम्ही अकेले पल-पल साथ जलूँगी मैं
बस ऊँचा उठना है फिर चाहे हर कष्ट उठाना है
बेल बोलती बरगद तेरी संगत में पड़ जाना है.
– सोनित
www.sonitbopche.blogspot.com
उत्कृष्ट यथेष्ट अपनी श्रेणी में सर्वोत्तम…
ये शब्द भी छोटे हैं। आप का प्रयास आपको जरूर सफल बनाएगा। भाव और बन्द दोनों का सम्मिश्रण बखूबी बनाये रखने के लिए आपको ढेरों बधाइयां!!
यह आपका बड़प्पन ही है अरुन जी जो मेरी रचना को आपने अपना वक्त व इतना सम्मान दिया . आपकी बधाइयों व शुभकमनाओं के लिए आभार.
बेहतरीन………………………
शुक्रिया शिशिर जी.
वाह क्या बात है……बेल और बरगद में आपने ऊंचाई के कष्ट और ऊपर उठने की ज़िद्द…फिर हर कष्ट साथ निभाने की ज़िद्द….दरअसल हर इंसान की परछाई है ये रचना ….जो ऊपर उठाना चाहता पर वो जानता नहीं की ऊपर उठने पर ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है…और जो नीचे से ऊपर जा रहे उनको यह ज्ञात हो की उनको उस ज़िम्मेदारी को शेयर करना है….अनुपम….अप्रतिम….
आपने तो जैसे इस कविता का पूरा सारांश ही प्रस्तुत कर दिया babucm जी. मुझे अच्छा लगा जो मेरी रचना को आपने अपना इतना वक्त दिया. प्रतिक्रिया पर बहुत बहुत आभार.
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने आप सच मे एक श्रेष्ठ कवि है,
इस कवि का प्रणाम है आपको ।
विनय जी यह आपका बड़प्पन है अन्यथा मै कहां नौसिखिया. आपको व आपके इस बड़प्पन को इस नौसिखिए का प्रणाम है.
बेहतरीन रचना है. अच्छे भावों के साथ अच्छा वर्णन. आपके कवि होने का प्रमाण देती हुई रचना.
मेरा मनोबल बढ़ाने और इतना सम्मान देने आभार विजय जी.
बेहतरीन…………..!
सुरेंद्र जी बहुत बहुत आभार.