मैंने की एम ऐ, पी अच डी,
मैँ चपरासी की नोकरी क्यों करू ?
वो मुझसे कम पढ़ा लिखा,
मैँ उसकी चाकरी क्यों करू ?
आरक्षण की उम्र थी दस साल,
जाने क्यों, कैसे इतनी भोग ली ?
सीट तो मुझे मिल जाएगी,
नीची जात का कार्ड दिखा कर,
फिर मैँ पढ़ाई क्यों करू ?
हर किसी को चाहिए नौकरी सरकारी,
भत्ता मिलता हो, मिले सुख सुविधाएं सारी,
निजी नौकरी में, खून है पीते,
पता नहीं किस गलती पे कट जाये पगार सारी ?
कंधे से कन्धा, कदम से कदम मिला,
बेकार जरूरतों को मिटा, खर्चो को कम कर,
कर्म कैसा भी हो ? बस करना होगा,
अपनी सोच बदल, इस देश को बदलना होगा |
very nice very true …………………………………
thanks vijay ji ……………….
बहुत सही सोच है आपकी मनीजी….आप को ऐसी रचनाओं की बहुत बहुत बधाई…..बहुत कमाल है जी…
इस प्यार भरी प्रतिकिया के बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत बढ़िया मनी जी।
thanks arun ji
Ati sundar ……………!!
एक बार फिर से तहे दिल से शुक्रिया निवातियाँ जी आपका