हर चोराहे पर मिलने लगे,
कभी जख्मो की नुमाइश कर, कभी बेबसी का रोना सुनाकर,
कभी चेहरे की मासूमियत दिखाकर, भगवान के नाम पर दे दो,
कुछ लोग हाथ आगे करने लगे |
दिल में ख्याल आया, हे भगवान तेरी कैसी ये लीला है,
कितना दर्द समेटे है ?, कैसे खुले आसमान के नीचे लेटे है ?
तन पर कपडा नहीं, ना दवा ना दारु,
कोई दे जाये रोटी दो टूक इसी आस पे बैठे है |
एक आवाज़ ने मेरा ध्यान तोडा और बोली मुझसे,
क्यों पैसे दे पाप कमा रहे हो ? भीख का धंधा क्यों बढ़ा रहे हो ?
क्यों बच्चों के हाथ पैर तुड़वा रहे हो ? क्यों गरीबी का नाटक रचा रहे हो ?
मत खाओ तरस मासूमियत और बेबसी देख,
करोड़ो का टर्न ओवर है इस धंधे में,
बड़ी तेजी से फलफूल रहा दुनिया के इस मंदे में,
बिना किये कर्म, हर कोई रोटी खाना चाहता,
मुफ्त से मिले पैसो से कितनो ने खुद को,
जकड लिया नशे की शिकंजे में
हर चोराहे पर मिलने लगे,
बहुत खूब …..….….…
thanks aditya ji
बात आप की बहुत सही है…..पर रोज़गार कितनो को मिल सकता है…पढ़े लिखे भीख माँगने को मजबूर हैं….उसपे भी सब का व्यपार चल रहा है….व्यवस्था का दोष भी है…कुछ हमारा भी…आप के भाव बहुत ही सुन्दर हैं…..
aapne sahi kaha jab tak hum khud ko nahi badlenge tab tak na halat badlenge na kuch aur…………..dhanywad rachna ko sharane ke liye
आपका कहना बिलकुल सही है लेकिन हम अपने संस्कारों से बंधे हैं. रहीम दस जी ने लिखा है
“रहिमन वो नर मर चुके जो कछु मांगन जाएँ, उनसे पहले वो मुए जिन मुख निकसत नाय.”
विजय जी आप से छोटा उम्र और ज्ञान में आप से बहुत छोटा हु पर आज जो हमारी संस्किृति के नाम पर जो गोरख धंधा चल रहा है वो बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चूका है | मैँ देने से मना नहीं करता पर सही हाथो में दे जिसे वास्तवकिता में जरूरत है |
बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर आपने सही प्रकाश डाला है
thanks shishir ji
mani जी में आपकी सोच से पूरी तरह सहमत हूँ लेकिन किसी की मदद करते वक़्त हम उसकी जानकारी कहाँ ले पाते हैं और इसी का फायदा गलत करनेवाले उठाते हैं. आपका उठाया विषय बहुत ही उचित है.
Mani इस रचना की खूबसूरती ये है की वर्तमान परिपेक्ष्य के आधार पर दोनों पहलुओं को छूती है
तहे दिल से शुक्रिया आपने अपने कीमती वक्त में मेरी रचना को पढ़ा और समय समय पर अपने विचार दिए और सराहा मुझे एकबार फिर से तहे दिल से शुक्रिया
मनिन्द्र जी रचना सर्वथा काल खंड और प्रक्रिति के अनुरूप है……!
शुक्रिया सुरेन्द्र जी तहे दिल से आपका