नींद भी आती नहीं.. रात भी जाती नही..
कोशिशें इन करवटों की.. रंग कुछ लाती नहीं..
चादरों की सिलवटों सी हो गई है जिंदगी..
लोग आते.. लोग जाते.. सिलवटें जाती नहीं..
जुगनुओं के साथ काटी आज सारी रात मैंने..
राह तेरी भी तकी.. पर तुम कभी आती नहीं..
कुछ शब्द छोड़े आज मैंने रात की खामोशियों में..
मैं जो कह पाता नहीं.. तुम जो सुन पाती नहीं..
– सोनित
Very nice write. Welcome
nice line sonit ji
अच्छी लाईनें……बहुत बढ़िया
beautifully written………………………..
सुंदर पंक्तियाँ
Ati sundar ……keep it up
बढ़िया…………..
nice………..
ap sabhi ka mera manobal bdhane bahut bahut shukriya. 🙂
सुन्दर, सन्तुलित, सटीक
dhanyvaad sir……………