पापा-पापा इधर आइए,
ममी कहाँ जल्दी बताइए ?
पंद्रह फेक आई डी है फेसबुक पर,
ट्विटर पर मेरी है आठ,
क्या हुआ क्यों इतना चिल्ला रहे हो ?
घर सर पर क्यों उठा रहे हो ?
अरे लगता है तूने मार है खानी,
क्यों बता रहा तू मुझे ये बात ?
पापा मुझ पर गुस्सा मत होइए,
अपना आपा मत खोइए,
वो मैँ ही हु जिस लड़की को,
दस दिन से चाय पर बुला रहे आप,
ये सुनकर पिता का माथा ठनका,
फिर चले कई घुसे और लात,
हसिए हसिए खूब हसिए,
हसने का कोई मोल नहीं,
फेसबुक और ट्विटर ही जाने,
कितनो के छुपा रखे है राज
पापा-पपा इधर आइए,
such a humourous poem mani ji. i have also written a poem on my papa and sending you for your precious reply on it.
इस संसार में आते ही
ईश्वर से मैंने है उनको पाया .
उन्होंने मुझे एक पहचान देकर
इस संसार से है परिचित कराया .
दिया सहारा उन्होंने मुझको
और सर उढ़ाकर चलना सिखाया .
चोट खाकर गिर जाने पर
उस दर्द से लड़ना सिखाया.
फिर दुबारा उसी राह पर
हिम्मत से आगे बढ़ना सिखाया .
डर –डर के ज़िन्दगी को
जीना कायरता बताया .
हर डर से लड़कर जीने को
असल जीना बताया .
सबकी मदद करने को हमेशा
आगे खड़े रहना सिखाया .
उनकी गोद में सर रखकर
सारे दुःख भूल जाती हूँ.
उनका प्यार ही मेरा संसार है
जिसे मैं जीवनभर महसूस कर सकती हूँ .
सबके हीरो तो बहुत से होंगे
पर मेरे तो वो एक ही हैं .
मेरे पापा ही तो मेरे
सबसे प्यारे और अच्छे हीरो हैं .
कवियत्री – ऋचा यादव
बहुत खूबसूरत रचना है आपकी ऋचा जी
ऋचा जी शुक्रिया आपका मेरी रचना को सराहने के लिए
मनिंदर सत्यपरक गुदगुदाहट भरे भाव
धन्यवाद शिशिर जी …..
अच्छी रचना मनिंदर जी…./,,
thanks arun ji
Waah. Kya baat hai….par ab ek kar lena bhai pata chale kal ko kuch or panga…..Mani ji balm laga lena…hhahahahaha….
जिंदगी यु ही कट जाये मुस्कुराते हुए,
कभी तुम हमें, कभी हम तुम्हे,
हाल ऐ दिल सुनाए,
और जिंदगी यु ही कट जाये मुस्कुराते हुए…..bahut khub c m sharma ji apne ne to laga li lagti hai……..
बहुत खूबसूरत सत्यपरक रचना है.
thanks vijay ji
Bahut khoob Mani ……sundar hasya vyangaatmk rachna..
thanks nivatiya ji……..
बहुत ही बढ़िया………..
तहे दिल से शुक्रिया अभिषेक जी आपका