इस संसार में आते ही
ईश्वर से मैंने है उनको पाया .
उन्होंने मुझे एक पहचान देकर
इस संसार से है परिचित कराया .
दिया सहारा उन्होंने मुझको
और सर उढ़ाकर चलना सिखाया .
चोट खाकर गिर जाने पर
उस दर्द से लड़ना सिखाया.
फिर दुबारा उसी राह पर
हिम्मत से आगे बढ़ना सिखाया .
डर –डर के ज़िन्दगी को
जीना कायरता बताया .
हर डर से लड़कर जीने को
असल जीना बताया .
सबकी मदद करने को हमेशा
आगे खड़े रहना सिखाया .
उनकी गोद में सर रखकर
सारे दुःख भूल जाती हूँ.
उनका प्यार ही मेरा संसार है
जिसे मैं जीवनभर महसूस कर सकती हूँ .
सबके हीरो तो बहुत से होंगे
पर मेरे तो वो एक ही हैं .
मेरे पापा ही तो मेरे
सबसे प्यारे और अच्छे हीरो हैं .
कवियत्री – ऋचा यादव
पिता को समर्पित सुंदर भावनात्मक प्रेरक रचना ……बहुत अच्छे ऋचा !!
बहुत बहुत धन्यवाद सिर.
thank you sir .
बहुत बढियाा …………….
thank you abhishwk sir
Bahut pyare bhaav papa ke liye….bahut hi sundar……
thank you babbu sir.
सुंदर …………………
thank you.
Papa ki yaad aa gyi rhicha ji
mujhe khushi hai ki meri kavita kisi ki yaadon ka sahara bani.
अति सुंदर रचना……….ऋचा जी को बधाईयाँ!
खूबसूरत रचना है आपकी, पिता के बारे में आपकी अच्छी सोच धर्षति है ………..एक बार “मुझे मत मारो (बेटी)” अवश्य पढ़ें और अपने विचार दें.
आपने बहुत अच्छी कविता लिखी है ।
मंजिल की राहे तो हम चुनते है पर उस पर चलने का हौसला हमे मां-पापा से ही तो मिलता है , एक प्यारी कविता को प्रणाम ।