दर्द का दरिया नहीँ रूकेगा
बहता ही चला जायेगा
यही हाल दिखता रहा तो
न जाने कितने को खायेगा
दर्द का दरिया ……
काल क्रूर की कर्कश ध्वनि में
मंजर ये दिखता जाता
जटा जूट की सज्जनता में
ख़ंज़र ये दिखता जाता
मौत का तांडव नहीँ रुका तो
जन जन पिसता जायेगा
दर्द का दरिया ……
कौन करेगा रखवाली अब
रूह कांपती सीने में
खून का अश्रु बहता जाता
घुट घुट करके जीने में
हर पल एक माँ बाप का हीरा
लुटता ही चला जायेगा
दर्द का दरिया …….
सर्वहारा
—————
सूखा है तन
भूखा है तन
औऱ बेचैन मन.
बहते पसीने में
मुश्किल से जीने में
कितना रूखा है तन
और बेचैन मन
श्रमजीवी श्रमिक
जो पाता पारिश्रमिक
है कितना बड़ा धन
और बेचैन मन.
उसके लहू का रंग
कौन कर रहा बदरंग
पूछता आम जन
और बेचैन मन.
रूह को तड़पता देख जाता नहीँ
वो अपना ही है
पर कोई आगे आता नहीँ
है ये कैसी जलन
और बेचैन मन.
ख्वाहिशें हर घर की
पूरा करे
इतनी जुर्रत कहाँ कुछ अधूरा करे
एक पल ही सही मिटा लेता थकन
और बेचैन मन
जर्रा जर्रा ऋणी है
उसके उपकारों का
कैसे कटता है दिन
बेसहारो का
वेदना में ही ओढ़ लेता कफ़न
और बेचैन मन..
!
!
??डॉ सी एल सिंह ??
कब चेतेगा शासन प्रशासन
उठता प्रश्न हर बार यहाँ
किसकी कमजोरी पर कातिल हँसता है हर बार यहाँ
नींद से चौको अमल करो
नही हर पल तू पछतायेगा
दर्द का दरिया नहीँ रूकेगा सर्वहारा
—————
सूखा है तन
भूखा है तन
औऱ बेचैन मन.
बहते पसीने में
मुश्किल से जीने में
कितना रूखा है तन
और बेचैन मन
श्रमजीवी श्रमिक
जो पाता पारिश्रमिक
है कितना बड़ा धन
और बेचैन मन.
उसके लहू का रंग
कौन कर रहा बदरंग
पूछता आम जन
और बेचैन मन.
रूह को तड़पता देख जाता नहीँ
वो अपना ही है
पर कोई आगे आता नहीँ
है ये कैसी जलन
और बेचैन मन.
ख्वाहिशें हर घर की
पूरा करे
इतनी जुर्रत कहाँ कुछ अधूरा करे
एक पल ही सही मिटा लेता थकन
और बेचैन मन
जर्रा जर्रा ऋणी है
उसके उपकारों का
कैसे कटता है दिन
बेसहारो का
वेदना में ही ओढ़ लेता कफ़न
और बेचैन मन..
!
!
??डॉ सी एल सिंह ??
बहता ही चला जायेगा.
??डॉ.सी.एल.सिंह.??
???????
लाजवाब……….
BAHUT KHUB LIKHTE HO JI
bahut badiya sir……………………
बहुत ही बढ़िया ………………….. !!
बेहतरीन ……………………..
Chhote lal je – dard ka daria bahut pasand aaya.