अबकी न तरसइहो, बरस-बरस जइहो,
बदरा तू उमड़-घुमड़ चहुँ ओर से अइहो ।
तोहरे कारण फटी-फटी छाती है मइया की,
सूखी अंतड़ियां हैं सारे कृषक भइया की,
पेड़ों से झड़ गए पत्ते पिछले सावन में,
कंटीली चुभन लगे अब तो पुरवइया की,
पशु मरे, बच्चे मरे भूख और प्यास से,
बाकी बचे आस लिए अब भी खेवइया की,
ऐसे न बरसइहो कि बहा के ले जइहो,
परिवार, घर-द्वार बरसने के सवइया की ।
बदरा तू उमड़-घुमड़ चहुँ ओर से अइहो,
अबकी न तरसइहो, बरस-बरस जइहो,
लूट-लूट ले जाते जल माँ के जिगरा से,
माई के मरला के बाद छाती न पटइहो,
खेत-खलिहान सब हरियाली से झूमैं-गावैं,
जाते-जाते ई बात की पुष्टि कर जइहो,
नदियन की प्यास बुझा, जल भर जइहो,
अबकी न सूखे-सूखे बिन बरसे जइहो।
बदरा तू उमड़-घुमड़ चहुँ ओर से अइहो,
अबकी न तरसइहो, बरस-बरस जइहो ।
विजय कुमार सिंह
अति सुंदर आंचलिक गीत…………………
Thanks a lot sir for your nice comment.
खूबसूरत रचना ……………
Thanks a lot abhishek ji.
बहुत बढ़िया रचना वो भी देशज शब्दावली में।
वाह!
एक गुस्ताखी पर निवेदन है
इस पंक्ति को थोडा और पुष्ट करना चाहिए था
‘खेत खलिहान सारे हरे भरे हो जाँय’
.,..
थोड़ा सा बदलाव किया है शायद अब पंक्तियां उचित लगें. पसंद की लिए धन्यवाद.
सर अमल के लिए धन्यवाद ।अति सुंदर….
सर निवेदन है कि अन्यथा न लीजियेगा।सूरज को मैं क्या दीया दिखा सकता हूँ।
हाँ स्वयं की परख को परखना चाहता था। जिसे आपने पुष्ट कर दिया। आप को नमन!
माँ सरस्वती वंदना से प्रसन्न होती हैं, घमंड से नहीं. ज्ञान तबतक बढ़ता है जबतक हम सीखने की चाह रखते हैं. मैं लिखूं और पढ़नेवाले को पसंद न आये फिर मेरे लिखने का कोई औचित्य नहीं.
सलाह के लिए धन्यवाद.
bahut khub sir wah kya sabdo ko sabdo se bandha hai
Thanks a lot mani ji.
Vijayji…..aapke kahne ka andaaz kuchh iss kadar niraala hai ki gyaan puri tarah se local bhaasha ka na hote hue bhi bhaav aapke rooh mein uttar gaye….or aapne tiwariji ki pratikirya ka Jo aapne hirday se swaagat karte huve Jo kaha ki maa saraswati vandana se parsan hoti hain….aapki bhawnaon ka hirday vishalta ko mera naman…
जब मन में विचार उत्पन्न होते हैं तो जो भी जैसा भी लगता है लिख लेते हैं . भाषाएँ हमारे मन को नहीं बांध सकतीं . मन के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए भाषाओँ का निर्माण हुआ.
वर्षा ऋतू का आह्वान करती खूबसूरत शब्दों से सुसज्जित लयबद्ध गीत !! अति सुंदर विजय जी !!
Thank you very much.