कैसे भुला दू कोई तो बताये ?
थमाया जिसने माँ का आँचल,
पहली बार अपने हाथो में ले,
कैसे भुला दू गीता पढ़ने वाली उस दाई को,
बाँट दिए लडू मोहल्ले सारे में,
नज़र ना लगे लगा दिया काला टीका,
कैसे भुला दू कुरान पढ़ने वाली उस ताई को,
पढ़ता था बाइबल शिक्षक मेरा,
कैसे भुला दू समझाया जिसने महत्व जीवन में,
शिक्षा, सदा जीवन, नेक कमाई का,
खान चाचा की पतंगे, बैठ जनक मामे के कंधे पर,
सैर सारे मेले की,
कैसे भुला दू कुछ अलग ही मजा था,
गुप्ता जी की मिठाई का,
कैसे भुला दू उस खौफनाक मंजर को,
जिसमे सब टूट गया या पीछे छूट गया,
क्या मिला दहशतगर्द इंसानो को ?
क्या मिला चालबाज़ सियासतदानों को ?
दे दिए जख्म कुछ ऐसे धर्म के नाम पर,
जिन पर असर नहीं किसी दवाई का,
कैसे भुला दू कोई तो बताये ?
very nice mani ji
thanks abhishek ji
मनिंदर एक आम हिंदुस्तानी ऐसे ही समरस समाज की अपेक्षा करता है लेकिन हम सभी कवि मित्रों को उपाय सुझा जनता को जागरूक करना आवश्यकफ है.
आपने बिलकुल ठीक कहा शिशिर जी, सबको मिलकर ये बीड़ा उठाना होगा
बहुत खूबसूरत मनी….. यही जीवन है …..सत्य और असत्य दोनों साथ चलते है …..जिसके मध्य जिंदगी बसर होती है …झुकाव किस तरफ हो स्वंय तय करना होता है !!
सही कहा अपने निवातियाँ जी …..बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरा मार्गदर्शन करने हेतु और मुझे प्रोत्साहित करने के लिए
क्या बात है….बहुत खूबसूरत…..चुनाव तो सच में हमें ही करना है…..
हमें अपनी सोच बदलनी होगी तभी इस देश में कुछ अच्छा हो सकता है …….तहे दिल से धन्यवाद आपका सी एम शर्मा जी
very nice mani ji.
thanks vijay ji