सूखी धरा हरी भरी हुई
बारिश की बूँदों में
प्रकृति की हुई छट्ठा नयी
बारिश की बूँदों में
नीलगगन पर श्यामल घटा
बारिश की बूँदों में
धरती से धूल पर्दा हटा
बारिश की बूँदों में
कल- कल करती सरिता की धारा
बारिश की बूँदों में
दूर हुआ किसान का अँधियारा
बारिश की बूँदों में
नव यौवना केश जो झटके
बारिश की बूँदों में
प्रियतम मन केशो में भटके
बारिश की बूँदों में
जीवंत होती मिलन परिभाषा
बारिश की बूँदों में
पूर्ण होती प्रेम अभिलाषा
बारिश की बूँदों में
संगीतमय कोयल की बोली
बारिश की बूँदों में
बादल संग सूरज की आंखमिचौली
बारिश की बूँदों में
हरयाली से महकता हर आँगन
बारिश की बूँदों में
दूर होता हित मन का सूनापन
बारिश की बूँदों में
हितेश कुमार शर्मा
हितेश जी बारिश की बूँदो का अपना ही मजा है …बहुत बढ़िया
अति सन्दुर हितेश जी
अति सुन्दर हितेश जी ………..
बहुत ही खूबसूरत रचना है और आपने उसे सुन्दर ढंग से सजाया है, बहुत खूब. एक बार पड़ाव पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें.
आप सभी दोस्तो का बहुत बहुत आभार