तुम्ही
तुम्ही फि र से आ जाओ
लेकर बहार फूलों की
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की ।
तुम आओ तो आ जाए
बसंत बयार ठंडी पूर्व से
ठूंठ निर्जीव सा पड़ा हूं मैं
फूंट पड़ेंगी कोंपले मुझमें
हरियाली लेकर तुम आओ ।
हंसी खिली हुई वादियों की।
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की ।
जीवन की अब आश तुम्ही हो
लुप्त सांसों की सांस तुम्ही हो
तुम्ही से है मेरा रैन बसेरा
आने वाली बरसात तुम्हीं हो
लेकर बहारें तुम ही आओ
क्यों करती हो अब तुम देरी ।
उजड़ा बैठा ठूंठ हुआ मैं
शोभा लाओ बगियन की ।
बरखा रानी आई कर सोलह श्रृंगार बहुत सन्दुर नवल जी ………………
अति सुन्दर नवल जी