वो सच है
जो परे है
सही और गलत के ठप्पों से,
अच्छे और बुरे की राजनीती से,
धर्म और इमां की नसीहतों से,
हार और जीत के बोझ से,
यहाँ और वहां के दायरों से,
काले और सफ़ेद के फ़र्क से,
गिनत और अनगिनत की सीमाओं से,
तुम्हारे और मेरे के होने से,
जो परे है
वही सच है।
वाह क्या खूबसूरती से सच कहा है आपने.
आप ने सच में सच लिखा है.
सैकड़ों धन्यवाद!
wonderful…………..
सच को सच के आईने में देखने और दिखाने की भरपूर कोशिश……!