Homeगुलज़ारचौदहवीं रात के इस चाँद तले चौदहवीं रात के इस चाँद तले विनय कुमार गुलज़ार 14/03/2012 No Comments चौदहवीं रात के इस चाँद तले सुरमई रात में साहिल के क़रीब दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले ! Tweet Pin It Related Posts वो जो शायर था चुप सा रहता था मेरे रौशनदान में बैठा एक कबूतर ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.