लोग सर झुकाते है सजदे में
और दिल में दगाबाजी रखते है !
उन बेईमानी सजदो से
उनसे कब खुदा राजी रहते है !!
!
शैतानो की हरकत पर
ख़ुदा हर वक़्त अपनी नजर रखते है !
कर इंतज़ार सही वक़्त का,
अपने सितम से उनकी झोली भरते है !!
!
नेक नियत से जो चलते
जीवन में सदा सफलता की सीढ़ी चढ़ते है
रखते है जो पाक दामन
खुदा भी उन पर नजरे इनायत बख्शते है !!
!
!
!
डी. के. निवातियाँ [email protected]
खूबसूरत रचना …………..
धन्यवाद शिशिर जी…………….!!
बेहद सुन्दर रचना……
शुक्रिया श्याम ………….!!
बेहतरीन……अलफ़ाज़ कमाल के हैं….आप के वचनों की सच्चाई मैं सांझा करना चाहता हूँ…मैं एक ऐसी फैमिली को जानता हूँ….जो ईमानदारी और नेक कमाई पर जीवित थी…हजार कठिनाइयों के बाद वो आज आगे बढ़ रही है….तरक्की कर रही है…दूसरी एक फैमिली जो सिर्फ दूसरों की कमाई पर जीवित थी…देखने में भले जादा उसका रुतबा था…पर सिर्फ एक झोंके से तहस नहस हो गयी…..ये मेरे जीवन का आँखों देखा सत्य है…..
नेक नियत से जो चलते
जीवन में सदा सफलता की सीढ़ी चढ़ते है
रखते है जो पाक दामन
खुदा भी उन पर नजरे इनायत बख्शते है !!
अवश्येम बब्बू जी आपका अनुभव एक दम सत्य है …….ऐसा बाहुल्य में देखने को मिलता है, कदाचित उस नजर से देखने का या तो मनुष्य के पास वक़्त नहीं है या वो भोग विलसिता में नजरअंदाज कर देना उचित समझता है !!
बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार आपका !!
Very nice. ……………………………
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी …………..!
बहुत खूब निवातियाँ जी ……
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक …………!!
निवितिया जी हर बार की तरह आपकी इस कविता में सच्चाई और अच्छाई साफ झलकती है l एक ही शब्द में कहूंगा लाजवाब रचना है निवितिया जी पढ़कर दिल खुश हो गया l
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभार राजीव जी ……..इसी तरह होसला अफजाई करते रहियेगा !!