इस ज़माने में लोग कुछ यूँ भी काम करते हैं
अपने हाथों से ही अपनों को बदनाम करते हैं.
उनकी आँखों पर जिस रंग का असर होता है
वैसी मूरत ही वो इंसा नज़रों में सदा ढ़ोता है
सच अगर देखना चाहो तो मन को साफ़ करो
ईर्ष्या छोड़ दो और ना गैरों पर विश्वास करो
जिंदगी नहीं तो बस एक नर्क सी बन जाएगी
चाह कर भी जहाँ बहारें कभी ना मुस्कुराएंगी.
शिशिर मधुकर
सत्य वचन शिशिर जी …………………!!
धन्यवाद निवातियाँ जी………………..
बहुत ही बढ़िया मधुकर जी
धन्यवाद अभिषेक……………………
Very very true.
Thanks Vijay………………….
true line sir…..nice one….
धन्यवाद श्याम……………………
जाकी रही भावना जैसी…प्रभु मूरत देखि तिन तैसी…..आप के वचन १००% सत्य को चिरतार्थ करते हैं….
बब्बू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.
Un kavi ko mara pranam jo hirdai ki bat kagag k tukro par lata hai …Un kavio ko mara pranam jo sansar ka sach dunya ko dikhata hai ……………………….