Homeमनिंदर सिंह मनीपरिंदे परिंदे mani मनिंदर सिंह मनी 14/06/2016 8 Comments रख सब्र दिलेै नादाँ, पत्थर भी पिघल कर मोम हो जाएंगे, समंदर में कितना भी उड़ ले परिंदे, कभी-न-कभी धरती पर वापस आएंगे । | Tweet Pin It Related Posts तुम ही मुझको बतलाओ–मनिंदर सिंह “मनी” बधाई हो बधाई हो…… मनिंदर सिंह “मनी” आँखों से तेरी छलकता है इश्क-मनिंदर सिंह “मनी” About The Author mani मेरा नाम मनिंदर सिंह "मनी".... जन्म- हापुड़ (ग़ाज़ियाबाद)....... 9216210601 8 Comments अभिषेक शर्मा 14/06/2016 beautifu fighting spiritl ….mani ji Reply mani 14/06/2016 thanks abhishek brother Reply Shishir "Madhukar" 14/06/2016 अच्छा है मनिंदर ………… Reply mani 14/06/2016 thanks shishir ji Reply विजय कुमार सिंह 14/06/2016 आपके भाव सुन्दर हैं यदि आप इस प्रकार आखिरी पंक्तियों को कर लें तो आपकी रचना और भी खूबसूरत लगेगी. आसमान में कितना भी उड़ लें परिन्दें, कभी-न-कभी धरती पर वापस आएंगे । Reply mani 14/06/2016 धन्यवाद विजय जी आपका तहे दिल से आगे भी ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहे | Reply निवातियाँ डी. के. 14/06/2016 बहुत सुन्दर …………..! Reply mani 14/06/2016 thanks nivatiya ji Reply Leave a Reply to Shishir "Madhukar" Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
beautifu fighting spiritl ….mani ji
thanks abhishek brother
अच्छा है मनिंदर …………
thanks shishir ji
आपके भाव सुन्दर हैं यदि आप इस प्रकार आखिरी पंक्तियों को कर लें तो आपकी रचना और भी खूबसूरत लगेगी.
आसमान में कितना भी उड़ लें परिन्दें,
कभी-न-कभी धरती पर वापस आएंगे ।
धन्यवाद विजय जी आपका तहे दिल से आगे भी ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहे |
बहुत सुन्दर …………..!
thanks nivatiya ji