आओ प्रिये
आज की सांझ है कितनी प्यारी
नजरें तकती है राहें तुम्हारी
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली ।
मेघ बरसते हैं छम-छम
जो आग लगाते है तन में
ऐसी सुन्दर वाटिका खिली है
चारों तरफ महकी है फुलवारी ।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली ।
तेरे आने से मेरी प्रियतमा
इन पर आयेगी और बहार
महक उठेंगे फि र से फू ल ये
खो चुके हैं सुगन्ध जो सारी ।
आ ही जाओ मेरी प्रियतमा
धरती ने बिछाई है हरियाली ।
क्यूँ नहीं आएगी…आप की आतुरता देख कर….बहुत खूब…..
shidat se chaho to khuda mil jaye…..bahut khub