जीने का है कौन ठिकाना कोई नहीं है जाना रे
भाई बंधु सब रिष्ते नाते झूठ का है फसाना रे ।
जनम लिया तो ऐसा करना बुरा काम न करना रे
हमसे उपर और है दुनिया उससे भी तुम डरना रे ।
माया की नगरी है दुनिया सोच समझकर रहना रे
बैर किसी से कभी न करना प्यार हमेषा करना रे ।
चार दिन का बना है जीवन कुछ तो नाम कमाना रे
ब्यर्थ में जीवन ऐसे लड़कर अपना नहीं गंवाना रे ।
कौन यहाॅ पर रहने आया सबको एक दिन जाना रे
सच का साथी बनकर भईया अपना फर्ज निभाना रे ।
पाॅच तत्व का बना है पिंजरा पंक्षी एक दिवाना रे
पलक झपकते उड़ जायेगा ंिपंजरा बना बेगाना रे ।
यही रीत दुनिया की भइया यही अतीत पुराना रे
ले लो अब तो नाम हरि का अब काहे पछताना रे ।
भव सागर में पड़ी है नइया उसको पार लगाना रे
मानवता के पथ पर चलकर यही अलख जगाना रे ।
बी पी षर्मा ; बिन्दु
Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
सुन्दर गीत…………………….
beautiful…………..
bahoot bahoot sukriya, sahab jee.
nice lines brother