कुछ नफरत सी हो गई
दिल को किसी से शिकायत सी हो गई
उन्होने कहा पहले तो ये मेरा घर था
अब इसकी हालत खण्डर सी हो गई
वफादारी के नाम पर बिक गया में
जिंदगी(धडकंन) से कुछ उधारी सी हो गई
कोई नही मिला खरीदार
अब इंतज़ार करना आदत सी हो गई
जो थी मालिक ऐ दिल की
वो अब किरायेदार सी हो गई|
:-अभिषेक शर्मा
दर्द भरे भाव ……….सुंदर प्रयास
शिशिर मधुकरजी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका …..
Nicely written…………………
विजय जी तहे दिल से शुक्रिया आपका …..
वाह क्या खूब कहा …………….!!
बहुत बहुत आभार निवातियाँ जी
सुन्दर रचना ………………
बहुत बहुत आभार आदित्य जी