हम जो चले आए , दिल के कमरे में तेरे,
बिखरे पड़े थे ख्वाब, कुछ तेरे कुछ मेरे ,
कुछ हसरते कुछ चाहतें, मुस्कुरा रही थी,
कुछ बंदिशें कुछ मजबूरियां, करहा रही थी ।
मंज़र तेरे दिल का, जाना पहचाना सा लगा,
मिल गया हो भटके राही को, ठिकाने सा लगा,
तेरी धड़कनो की आवाज़ भी, गीत यही गाती है,
मंज़िलों तो मेरी और पास मेरे , ले आती हैं ।
चाहत ने दिल से दिल के, तार जोड़ दिए हैं,
कहना जो मैं चाहता हूँ, बोल तेरे हो गए हैं,
जबसे चर्चे तेरे-मेरे नाम के, आम हो गए हैं,
मुहोब्बत और इबादत में फासले, कम हो गए हैं ।
अब और खुदा से क्या माँगूँ , सबकुछ तो हासिल है,
इस फ़क़ीर के झोली में, इक नायाब हीरा शामिल है,
रोशन जिससे मेरी सारी कायनात, खुदाया आज है,
तेरे भी चेहरे पे आये इस नूर का , यही तो राज़ है ।
Jab se charche……faasle kam ho gaye hain….bahut badhiya andaaz….kya baat hai….bahut achhe….khoobsoorat alfaz piroye aapne…
तू मुझ में शामिल …….. khoobsurat rachana.
Thanks Vijay Kumar Ji, रचना को पसंद करने के लिए.
nicely expressed feelings of love……
अब और खुदा से क्या माँगूँ , सबकुछ तो हासिल है,
इस फ़क़ीर के झोली में, इक नायाब हीरा शामिल है
सर वाकई में उम्दा रचना सच्चे प्यार को परिभाषित!